कहीं से आई कोई किरण,
लेकर हौंसलों का वजन,
कुछ हल्की-सी रौशनी करने,
ज़िन्दगी में ज़िन्दगी को रखने,
भरने उम्मीद के रंग,
बदलने जीने के ढँग,
हर तारे को बनाने सूरज,
हर ख़्याल की बदलने सूरत,
बताने ज़िन्दगी आख़िर है क्या,
जताने सादगी आख़िर है क्या,
लेकर सपने आँखों में नये,
छूकर तारे हाथों से अपने,
आई तोड़ बंधन चाँद से,
जोड़ दामन नई आस से,
हटा के रात के सारे पहर,
देखो आ गई है फिर सहर.
Wednesday 11 March 2015
सहर
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