Tuesday 14 January 2020

ऐसा नही है कि वो कहता नही है...

ऐसा नही है कि वो कहता नही है,
हाँ लबों पर उसके कुछ रहता नही है।
यूँ आँखों से वो बातें बेहिसाब करता है,
ईशारों की शरारतें भी लाजवाब करता है।
ऐसे तो कहता है उसे आता नही है जताना,
पर इतना भी मुश्किल तो नही है बताना।
जब वो अचानक से देखता है छुपकर,
जब वो अचानक से मुड़ता है चलकर।
कभी साथ बैठकर पढ़ता है किताब वो,
कभी यूँ ही माँग लेता है कितने जवाब वो।
दिखाई दे कर भी दिखाई देती नही है,
उसकी हर अदा कितनी तो हंसी है।
यूँ शब्दों में कभी वो लायेगा नही,
हाँ यकीं है कभी वो बताएगा नही।
प्यार है उसको बेशुमार तुमसे,
कहेगा तो नही वो हर बार तुमसे।
ज़िक्र जब-जब तुम्हारा कहीं भी होता है,
तुम्हारे साथ का हर लम्हा उसके रूबरू होता है।
वो जानता तो है कि छिपाना ज़रूरी तो नही है,
पर प्यार दिखाया ही जाये ये ज़रूरी तो नही है।
उसकी हर आदत में तुम आओगी नज़र,
ज़रा-सा ध्यान जो तुम दोगी उधर।
हर बार कैसे वो साथ देता है तुम्हारा,
चुप रह जाता है सुनकर नाम तुम्हारा।
उसका गुस्सा उसकी आँखों में उतर आता है,
जब भी कोई कुछ भी तुम्हे कह जाता है।
तुम शिकायतें उससे बार-बार करती हो,
उसके हर फैंसले को नज़रअंदाज़ करती हो।
वो तब खफ़ा हो जाने का दिखावा तो करता है,
लेकिन भीतर ही भीतर कहीं बहुत डरता है।
डरता है तुमको कहीं वो खो ना दे,
सम्भालता है खुद को, कहीं रो ना दे।
जाने कब समझोगी तुम कि हाँ प्यार उसको भी है,
जाने कब समझोगी तुम कि हाँ चाह उसको भी है।
वो छिपकर ही सही, पर सोचता है तुम्हे,
वो बिन कहे ही सही, पर कहता है तुम्हे।
उसकी आँखों में हर वो ज़ज़्बात होता है,
उसकी हरकतों में हर वो अंदाज़ होता है।
ऐसा नही है कि वो कहता नही है,
हाँ लबों पर उसके कुछ रहता नही है...

लिखने बैठे...तो सोचा...

लिखने बैठे, तो सोचा, यूँ लिख तो और भी लेते हैं, ऐसा हम क्या खास लिखेंगे? कुछ लोगों को तो ये भी लगेगा, कि क्या ही होगा हमसे भला, हम फिर कोई ब...