क्या हस्ती है,
क्या हैसियत है,
आख़िर हैं ही क्या हम?
कहिये तो वक़्त से कब,
और कहाँ लड़ सके हैं हम?
कब इसे रोका,
कब थाम पाये हैं,
आख़िर कर क्या सके हैं हम?
इस वक़्त से जीते कब,
या कब इसे हरा पाये हैं हम?
कौन हुआ है ऐसा,
क्या वो कर सका है,
आख़िर किसमें है इतना दम?
जो बढ़ जाए आगे,
या बढ़ा ले इससे आगे कदम?
ये कल भी सच था,
ये आज भी सच है,
आख़िर बदलेंगे भी कैसे इसे हम?
क्यूँकि वक़्त की बिसात पर,
सिर्फ़ मोहरे हैं हम।
Nice ma'am
ReplyDelete"Thank you Manoj Ji...!" :-)
Delete