तभी उसने लिखा होगा।
अपने अरमानों को रूप कोई,
नया-सा फिर दिया होगा,
उसने कागज़ों पर।।
कुछ कही होगी अपनी,
कुछ औरों की लिखी होगी।
कुछ कहानियों में ढाला होगा,
कुछ कविताओं में समेटा होगा,
उसने कागज़ों पर।।
दुनिया ने फिर पढ़ा होगा,
उसे याद फिर किया होगा।
वो मर कर भी ना मरा होगा,
ज़िन्दा खुद को रखा होगा,
उसने कागज़ों पर।।
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